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गुरुवार, 27 दिसंबर 2012

तुम न मुझको भूल जाना

तुम न मुझको भूल जाना,
याद करना याद आना,
 
जिंदगी तेरे हवाले,
छोड़ दो या मार जाना,
 
प्यार तेरा बंदगी है,
आज है तुझको बताना,
 
चाहते हैं लोग सारे,
दाग से दामन बचाना,
 
ठीक ये बिलकुल नहीं है,
हार कर आंसू बहाना .....

23 टिप्‍पणियां:

  1. ठीक ये बिल्‍कुल नहीं है,

    हार कर आंसू बहाना ...
    बिल्‍कुल सही
    बेहतरीन प्रस्‍तुति

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"27 दिसंबर 2012 को 12:29 pm

      आभार सदा दी

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  • ठीक ये बिलकुल नहीं है,
    हार कर आंसू बहाना .....
    बिलकुल...
    सुन्दर रचना....

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"29 दिसंबर 2012 को 2:24 pm

      शुक्रिया रीना जी

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  • संध्या शर्मा27 दिसंबर 2012 को 3:03 pm

    जीता वही है इस जहाँ में
    जिसने सीखा है हमेशा
    ग़म में भी मुस्कुराना....
    सुन्दर रचना...

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"29 दिसंबर 2012 को 2:25 pm

      तहे दिल से शुक्रिया संध्या दी

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  • ठीक ये बिलकुल नहीं है,
    हार कर आंसू बहाना .....

    ...बिल्कुल सही...बहुत सुन्दर रचना..

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"29 दिसंबर 2012 को 2:25 pm

      आभार आदरणीय कैलाश सी

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  • डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)27 दिसंबर 2012 को 5:10 pm

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार (28-12-2012) के चर्चा मंच-११०७ (आओ नूतन वर्ष मनायें) पर भी होगी!
    सूचनार्थ...!

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"29 दिसंबर 2012 को 2:25 pm

      अनेक-२ धन्यवाद शास्त्री सर

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  • आप इसी तरह दास्ताने दिल को इन सुन्दर रचनाओं से सजाना।

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"29 दिसंबर 2012 को 2:26 pm

      शुक्रिया-२ आमिर भाई

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  • धीरेन्द्र सिंह भदौरिया27 दिसंबर 2012 को 7:21 pm

    ठीक ये बिल्‍कुल नहीं है,
    हार कर आंसू बहाना ...

    recent post : नववर्ष की बधाई

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"29 दिसंबर 2012 को 2:26 pm

      आभार धीरेन्द्र सर

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  • bahut umda...
    ठीक ये बिल्‍कुल नहीं है,
    हार कर आंसू बहाना ...
    http://ehsaasmere.blogspot.in/

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"29 दिसंबर 2012 को 2:27 pm

      सुरेश जी आप ब्लॉग पर आये आपका स्वागत है आभार

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  • संजय भास्कर29 दिसंबर 2012 को 11:47 am

    जिसने सीखा है हमेशा
    ग़म में भी मुस्कुराना.
    सुन्दर रचना...!!!

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"29 दिसंबर 2012 को 2:28 pm

      संजय भाई उत्साह वर्धन हेतु आभार

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  • दिगम्बर नासवा30 दिसंबर 2012 को 2:36 pm

    ठीक ये बिलकुल नहीं है,
    हार कर आंसू बहाना .....

    बहुत खूब ... शेर में अपनी बात को बहुत स्पष्ट रक्खा है ... लाजवाब ...

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"31 दिसंबर 2012 को 4:24 pm

      आभार दिगम्बर सर

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  • सीधे सीधे सरल भावों वाली गज़ल ... शेर नं. 3 में आक्रोश है वहीं लास्ट वाले में हिम्मत बांधी हैं।

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