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मंगलवार, 28 मई 2013

ग़ज़ल : प्यार का रोग दिल लगा लाया

(बह्र: खफीफ मुसद्दस मख्बून मक्तुअ)
२१२२-१२१२-२२ 

फाइलातुन मुफाइलुन फेलुन 


प्यार का रोग दिल लगा लाया,
दर्द तकलीफ भी बढ़ा लाया,

याद में डूब मैं सनम खुद को,
रात भर नींद में जगा लाया,

तुम ही से जिंदगी दिवाने की,
साथ मरने तलक लिखा लाया,

चाँद तारों के शहर में तुमसे,
फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया,

तेरी अँखियों से लूट कर काजल,
मेघ घनघोर है घटा लाया.

19 टिप्‍पणियां:

  1. महेन्द्र श्रीवास्तव28 मई 2013 को 3:31 pm

    बहुत सुंदर रचना
    क्या बात

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  2. बहुत ही सुन्दर और सार्थक ग़ज़ल की रचना,धन्यबाद मित्रवर.

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  3. दिल की आवाज़28 मई 2013 को 5:35 pm

    अरुण जी बढ़िया ग़ज़ल ....

    चाँद तारों के शहर में तुमसे,
    फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया,

    तेरी अँखियों से लूट कर काजल,
    मेघा घनघोर है घटा लाया.

    बहुत बहुत बधाई !

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  4. सरिता भाटिया28 मई 2013 को 6:14 pm

    नमस्कार !
    आपकी यह रचना कल बुधवार (29-05-2013) को ब्लॉग प्रसारण: अंक 10 पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  5. प्रवीण पाण्डेय28 मई 2013 को 6:55 pm

    बहुत ही सुन्दर रचना।

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  6. वाह....
    आँखों का काजल मेघों में....
    बढ़िया ग़ज़ल....

    अनु

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  7. धीरेन्द्र सिंह भदौरिया28 मई 2013 को 8:08 pm

    वाह !!!बहुत बेहतरीन सुंदर गजल ,,

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  8. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (29-05-2013) के सभी के अपने अपने रंग रूमानियत के संग ......! चर्चा मंच अंक-1259 पर भी होगी!
    सादर...!

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  9. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (29-05-2013) के सभी के अपने अपने रंग रूमानियत के संग ......! चर्चा मंच अंक-1259 पर भी होगी!
    सादर...!

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  10. धीरेन्द्र सिंह भदौरिया28 मई 2013 को 11:14 pm

    बहुत उम्दा,लाजबाब गजल ,,

    Recent post: ओ प्यारी लली,

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  11. अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)29 मई 2013 को 9:32 am



    प्रिय अरुण अनंत....

    प्यार का रोग दिल लगा लाया,

    दर्द तकलीफ भी बढ़ा लाया,

    कौन बोला कि दिल लगा लाया

    मुफ्त में दर्द को बढ़ा लाया.......................क्या करें , होता है, होता है...

    याद में डूब मैं सनम खुद को,

    रात भर नींद में जगा लाया,

    मैं तो डूबा तुझे न बख्शूंगा

    नाव मँझधार में फँसा लाया....................आशिकी का मजा तभी है जब--दोनों तरफ हो आग बराबर लगी हुई...........

    तुम ही से जिंदगी दिवाने की,

    साथ मरने तलक लिखा लाया,

    बोल शुभ-शुभ मगर जरा हौले

    भ्रात बल्ला नया-नया लाया....................भाई सुन लेगा तो हसरत अभ्भी ही पूरी कर देगा...............

    चाँद तारों के शहर में तुमसे,

    फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया,

    प्यार का मर्म इसको कहते हैं

    एक ही घूँट ने नशा लाया........................इस हालिएगज़ल वजनदार शेर के लिए दिली मुबारकबाद............

    तेरी अँखियों से लूट कर काजल,

    मेघा घनघोर है घटा लाया.

    मोर नाचा हृदय के उपवन में

    मोरनी साथ में बुला लाया.......................काजली घटा की छटा देख कर मन का मोर झूम उठा...................

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  12. vibha rani Shrivastava29 मई 2013 को 11:10 am

    प्यार का रोग दिल लगा लाया,
    दर्द तकलीफ भी बढ़ा लाया,
    बेहतरीन गजल
    God Bless U

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  13. waah bahut badhiya ..pyaar ka rog hota hi aisa hai ..

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  14. बहुत सुन्दर गज़ल....

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  15. संजय भास्‍कर31 मई 2013 को 8:51 am

    अरुण जी बढ़िया ग़ज़ल
    जरूरी कार्यो के ब्लॉगजगत से दूर था
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  16. प्यार का रोग दिल लगा लाया,
    दर्द तकलीफ भी बढ़ा लाया,
    बेहतरीन गजल
    :-)

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  17. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)5 जून 2013 को 11:00 am

    वाह क्या कहने...
    बहुत उम्दा ग़ज़ल है ये तो!

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  18. bahtrin Gajal :)

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  19. wah achhi,sarthak,saras gazal.....

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
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