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शुक्रवार, 26 अक्टूबर 2012

नेताओं का काम

झेले कैसे-कैसे है,
घोटाले आवाम,

सोंची समझी साजिश है,
नेताओं का काम,

कुछ दिन की भागा-दौड़ी,
सालों तक आराम,

सीधी-सादी जनता है,
समझे ना पैगाम,

धोखा-जिल्लत-मक्कारी,
बेंचे हैं बेदाम,

घूमे पहने खाकी,कर 
लाखों कत्लेआम ।।

20 टिप्‍पणियां:

  1. Manu Tyagi26 अक्टूबर 2012 को 10:45 am

    नेता तो होते ही ऐसे हैं

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा26 अक्टूबर 2012 को 10:46 am

      अखंड सत्य है मित्र

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  • रविकर26 अक्टूबर 2012 को 10:57 am

    बहुत बढ़िया अरुण जी-
    रचते रहो ||

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा26 अक्टूबर 2012 को 11:02 am

      अनेक-2 धन्यवाद रविकर सर.

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    2. Dheerendra singh Bhadauriya26 अक्टूबर 2012 को 12:40 pm

      उम्दा कटाक्ष नेताओं पर,,,,

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    3. "अनंत" अरुन शर्मा26 अक्टूबर 2012 को 1:01 pm

      बहुत-2 शुक्रिया धीरेन्द्र सर.

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  • सदा26 अक्टूबर 2012 को 12:33 pm

    एक सच ... बहुत ही अच्‍छा लिखा है

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा26 अक्टूबर 2012 को 1:01 pm

      अनेक-2 धन्यवाद सदा जी.

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  • डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)26 अक्टूबर 2012 को 10:26 pm

    सादर अभिवादन!
    --
    बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (27-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा27 अक्टूबर 2012 को 10:15 am

      आदरणीय शास्त्री सर आपको सादर प्रणाम, मेरी रचना को चर्चामंच पर स्थान दिया अनेक धन्यवाद.

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  • Rohitas ghorela27 अक्टूबर 2012 को 7:52 am

    घुमे पहने खाकी,कर
    लाखों कत्तलेआम !!


    वाह क्या बात है अरुण जी ......... मजा आ गया सुन्दर पोस्ट
    माशाल्ला ऐसे ही लिखते रहिये ... दिल खुश हो गया जी .

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा27 अक्टूबर 2012 को 10:16 am

      बहुत-2 शुक्रिया मित्र इस सराहना हेतू .

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  • shalini27 अक्टूबर 2012 को 4:26 pm

    नेताओं का कच्चा चिटठा.... बहुत बढ़िया अरुण जी.

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा27 अक्टूबर 2012 को 4:38 pm

      शुक्रिया शालिनी जी बहुत-2 शुक्रिया .....

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  • Minakshi Pant27 अक्टूबर 2012 को 5:01 pm

    बिल्कुल सहमत हर बात को बेझिजक कहने का खूबसूरत अंदाज़ अच्छा लगा |

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा27 अक्टूबर 2012 को 5:11 pm

      आदरणीया सराहना और हौंसला आफजाई के लिए अनेक-2 धन्यवाद

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  • Reena Maurya28 अक्टूबर 2012 को 12:29 pm

    सार्थक अभिव्यक्ति है भाई...
    :-)

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा28 अक्टूबर 2012 को 12:55 pm

      अनेक-2 धन्यवाद रीना जी तहे दिल से शुक्रिया.

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  • संजय भास्कर28 अक्टूबर 2012 को 11:29 pm

    घुमे पहने खाकी,कर
    लाखों कत्तलेआम !!
    ..बिलकुल सही कहा अरुण जी !

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा29 अक्टूबर 2012 को 1:32 pm

      शुक्रिया संजय भाई

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