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Monday, September 15, 2014

गीत: नव पीढ़ी को मर्यादा का पाठ पढ़ाना भूल गए

गीत:-
गुण अवगुण के मध्य भिन्नता को समझाना भूल गए।
नव पीढ़ी को मर्यादा का पाठ पढ़ाना भूल गए।।

अनहितकारी है परिवर्तन भाषा और विचारों में,
कड़वाहट अपनों के प्रति ही भरी हुई परिवारों में।
संबंधो के मीठे फल का स्वाद चखाना भूल गए।
नव पीढ़ी को मर्यादा का पाठ पढ़ाना भूल गए।।

अंधकार से घिरे हुए हैं अंतर्मन अति मैला है,
अहंकार, लालच, कामुकता का विष नस में फैला है।
सदाचार, व्यवहार, मनुजता को अपनाना भूल गए।
नव पीढ़ी को मर्यादा का पाठ पढ़ाना भूल गए।।

मलिन आत्मा अंतर्मन भी अंत ईश्वर के प्रति निष्ठा,
निंदनीय कृत्यों के कारण नहीं स्मरण मान प्रतिष्ठा।
धर्मं, सभ्यता, मानवता, सम्मान बचाना भूल गए।
नव पीढ़ी को मर्यादा का पाठ पढ़ाना भूल गए।।

6 comments:

  1. yashoda agrawalSeptember 15, 2014 at 12:33 PM

    आपकी लिखी रचना मंगलवार 16 सितम्बर 2014 को लिंक की जाएगी...............
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  2. रविकरSeptember 15, 2014 at 1:49 PM

    आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवार के - चर्चा मंच पर ।।

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  3. Meena PathakSeptember 15, 2014 at 2:03 PM

    बहुत सुन्दर

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  4. देवदत्त प्रसूनSeptember 15, 2014 at 5:54 PM

    सुन्दर भाव और शब्द !

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  5. madhu singhSeptember 15, 2014 at 11:30 PM

    बहुत सुन्दर रचना

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  6. Rohitas ghorelaSeptember 16, 2014 at 7:01 AM

    संबंधो के मीठे फल का स्वाद चखाना भूल गए।
    नव पीढ़ी को मर्यादा का पाठ पढ़ाना भूल गए।।

    मन भवन सुंदर गीत है

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