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Sunday, December 16, 2012

लड़खड़ाते पांव मेरे - जबकि मैं पीता नहीं

याद में तेरी जिऊँ, मैं आज में जीता नहीं,
लड़खड़ाते पांव मेरे, जबकि मैं पीता नहीं,
 
नाज़ नखरे रख रखें हैं, आज भी संभाल के,
मैं नहीं इतिहास फिरभी, सार या गीता नहीं,
 
तोलना है तोल लो तुम, नापना है नाप लो,
प्यार मेरा है समंदर, यार दो बीता नहीं,
 
आह निकलेगी नहीं, तुम लाख चाहो भी सनम,
दर्द की आदत मुझे है, मैं जखम सीता नहीं,
 
चाहता हूँ भूलके सब, दो कदम आगे चलूँ,
और खुद तकदीर से मैं अबतलक जीता नहीं.

24 comments:

  1. दिगम्बर नासवाDecember 17, 2012 at 1:39 PM

    आह निकलेगी नहीं, तुम लाख चाहो भी सनम,
    दर्द की आदत मुझे है, मैं जखम सीता नहीं,..

    वाह ... क्या बात है ... कमाल का शेर है अरुण जी ...

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"December 17, 2012 at 2:22 PM

      आभार आदरणीय दिगंबर सर

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  • संध्या शर्माDecember 17, 2012 at 5:37 PM

    सबकुछ भूलकर कदम आगे बढ़ते रहें,
    जीतना ही है,हारना तुमने सीखा नहीं...
    बेहतरीन रचना... शुभकामनायें

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"December 19, 2012 at 1:09 PM

      आभार संध्या दीदी

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  • कविता रावतDecember 17, 2012 at 5:44 PM

    चाहता हूँ भूलके सब, दो कदम आगे चलूँ,
    और खुद तकदीर से मैं अबतलक जीता नहीं.
    ...बहुत खूब!

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"December 19, 2012 at 1:09 PM

      शुक्रिया कविता जी

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  • Rajesh KumariDecember 17, 2012 at 6:25 PM

    आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 18/12/12 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका इन्तजार है

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"December 19, 2012 at 1:09 PM

      तहे दिल से शुक्रिया आदरणीया राजेश कुमारी जी

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  • धीरेन्द्र सिंह भदौरियाDecember 17, 2012 at 10:04 PM

    बेहतरीन अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,,बधाई

    recent post: वजूद,

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"December 19, 2012 at 1:10 PM

      धन्यवाद धीरेन्द्र सर

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  • expressionDecember 18, 2012 at 7:27 AM

    प्यार समंदर है...दो बीता नहीं....
    लाजवाब शेर अरुण जी....
    बहुत खूब.

    अनु

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"December 19, 2012 at 1:10 PM

      शुक्रिया अनु जी

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  • सदाDecember 18, 2012 at 11:22 AM

    आह निकलेगी नहीं, तुम लाख चाहो भी सनम,
    दर्द की आदत मुझे है, मैं जखम सीता नहीं,..
    वाह ... बेहतरीन

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"December 19, 2012 at 1:11 PM

      अनेक-2 धन्यवाद सदा दी

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  • मन के - मनकेDecember 18, 2012 at 10:36 PM

    गज़ल के नुक्तों को चुन-चुन,गलीचा बिन दिया.

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  • मन के - मनकेDecember 18, 2012 at 10:38 PM

    गज़ल के नुक्तों को चुन-चुन,गलीचा बिन दिया.

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  • मन के - मनकेDecember 18, 2012 at 10:38 PM

    गज़ल के नुक्तों को चुन-चुन,गलीचा बिन दिया.

    ReplyDelete
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    1. अरुन शर्मा "अनंत"December 19, 2012 at 1:11 PM

      आभार आदरणीया

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  • Virendra Kumar SharmaDecember 18, 2012 at 11:11 PM

    क्या खूब लिखते हो दोस्त .


    चाहता हूँ भूलके सब, दो कदम आगे चलूँ,
    और खुद तकदीर से मैं अबतलक जीता नहीं.

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"December 19, 2012 at 1:11 PM

      आभार आदरणीय वीरेंद्र सर

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  • Rohitas ghorelaDecember 19, 2012 at 8:54 AM

    "मैं जख्म सीता नहीं " वाह अरुण जी क्या कहने आपके

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"December 19, 2012 at 1:12 PM

      शुक्रिया रोहित भाई

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  • Reena MauryaDecember 22, 2012 at 7:43 PM

    बहुत खूब....
    :-)

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  • संजय भास्करDecember 25, 2012 at 3:03 PM

    अच्छी प्रस्तुति .... अरुन जी

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