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Thursday, November 8, 2012

कश्तियों का कातिल

जख्म मनमानी कर, खफा हो जाता है,
अश्क आँखों को, खामखा धो जाता है,

दुश्मनी दिल से, कर गया दिल का जाबित,
रोग दिल का अक्सर, दर्द बो जाता है,

कश्तियों का कातिल, बवंडर सागर का,
लोभ में मांझी का, खुदा खो जाता है,

याद तेरी लाये, हवा का हर झोंका,
माफ़ करना ये दिल, अगर रो जाता है,

छोड़ जाता है साथ, जब कोई तन्हा,
लौट के आया कब चला, जो जाता है,

टूट जाती है डोर, जिसके सांसों की,
मौत की बाँहों में, वही सो जाता है,

जाबित - मालिक, स्वामी 

20 comments:

  1. Virendra Kumar SharmaNovember 8, 2012 at 3:05 PM

    दुश्मनी दिल से, कर गया दिल का जाबित,
    रोग दिल का अक्सर, दर्द बो जाता है,

    काबिले दाद है यारा तेरी गजल ,

    काबिले दाद लिखे हैं सबके सब अशआर तूने .

    बहुत बढ़िया गजल है भाई .

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 8, 2012 at 4:03 PM

      आदरणीय वीरेंद्र सर आप स्नेह टिप्पणियों के जरिये मिला, ह्रदय गद -2 हो गया, बहुत-2 शुक्रिया सर.

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  • सदाNovember 8, 2012 at 3:58 PM

    छोड़ जाता है साथ, जब कोई तन्‍हा,

    लौट के आया कब चला, जो जाता है

    टूट जाती है डोर, जिसके सांसों की,
    मौत की बाहों में, वही सो जाता है

    वाह ... बहुत ही बढिया।

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 8, 2012 at 4:05 PM

      आदरणीया सदा दीदी आपका यूँ स्नेह पाकर ख़ुशी से आँखें भर आई, ह्रदय के अन्तः स्थल से आभार.

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  • संजय भास्करNovember 8, 2012 at 4:02 PM

    पहला शेर ही इतना लाजवाब है कि क्या कहें...!

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 8, 2012 at 4:09 PM

      भ्राताश्री आपकी सराहना मुझे सदैव उर्जा मिलती है।

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  • संजय भास्करNovember 8, 2012 at 4:05 PM

    खूबसूरत अंदाज़....जज्बातोँ से भरी सजी पंक्तियाँ....अरुन जी

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 8, 2012 at 4:11 PM

      बहुत-2 शुक्रिया संजय भाई यूँ ही अपना स्नेह बनाये रखें अनुज पर.

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  • रविकरNovember 8, 2012 at 5:25 PM

    बहुत अच्छे अरुण ।।

    कातिल क्या तिल तिल मरे, तमतमाय तुल जाय ।

    हँस हठात हत्या करे, रहे ऐंठ बल खाय ।

    रहे ऐंठ बल खाय, नहीं अफ़सोस तनिक है ।

    कहीं अगर पकड़ाय, डाक्टर लिखता सिक है ।

    मिले जमानत ठीक, नहीं तो अन्दर हिल मिल ।

    खा विरयानी मटन, मौज में पूरा कातिल ।।

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 9, 2012 at 11:05 AM

      वाह रविकर सर वाह मज़ा आ गया शुक्रिया.

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  • रविकरNovember 8, 2012 at 6:19 PM

    उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 9, 2012 at 11:06 AM

      तहे दिल से शुक्रिया रविकर सर

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  • Kailash SharmaNovember 8, 2012 at 8:28 PM

    दुश्मनी दिल से, कर गया दिल का जाबित,
    रोग दिल का अक्सर, दर्द बो जाता है,

    ...क्या बात है...बेहतरीन गज़ल..

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 9, 2012 at 11:06 AM

      सराहना व आशीष हेतु अनेक-2 धन्यवाद कैलाश सर

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    Reply
  • Reena MauryaNovember 8, 2012 at 8:40 PM

    सुन्दर भावपूर्ण रचना...
    :-)

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 9, 2012 at 11:07 AM

      बहुत-2 शुक्रिया रीना जी.

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  • राज चौहानNovember 9, 2012 at 4:00 PM

    टूट जाती है डोर, जिसके सांसों की,
    मौत की बाहों में, वही सो जाता है
    बहुत ही बढिया।
    .......मेरे ब्लॉग पर स्वागत है
    http://rajkumarchuhan.blogspot.in

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 9, 2012 at 4:17 PM

      बहुत-2 शुक्रिया राज जी

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  • shaliniNovember 9, 2012 at 4:30 PM

    दुश्मनी दिल से, कर गया दिल का जाबित,
    रोग दिल का अक्सर, दर्द बो जाता है,
    bahut acchhi gazal likhi hai arun ji,,,, badhai!

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 9, 2012 at 4:32 PM

      शालिनी जी स्नेह व सराहना हेतु अनेक-2 धन्यवाद.

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