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आइये आपका हृदयतल से हार्दिक स्वागत है

Wednesday, November 7, 2012

मुझे इश्क की बिमारी लगी

दिन दूभर और रात भारी लगी,
जाने कैसी मुझे, बिमारी लगी, 

आँखों का हाल, दिल समझता नहीं,
साँसों में आग, रोज जारी लगी,

पागल हैं धडकनें, इश्क में इस कदर,
अब अच्छी और, बेकरारी लगी,

मीलों तक दूरियां, दिलों में रही,
 देती तकलीफ, याद खारी लगी,

बिखरी आबाद जिंदगी, इस तरह,
अत्र फूलों की लुटी, क्यारी लगी,

अत्र - सुगन्धित

28 comments:

  1. Rohitas ghorelaNovember 7, 2012 at 11:13 AM

    बिखरी आबाद जिन्दगी,इस तरह
    अत्र" फूलों की लुटी, क्यारी लगी।

    वाह .. बेहद खुबसूरत ... :))
    एक एक शेर बेहद सँवरा हुआ

    मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत हैं ...
    http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/11/blog-post_6.html

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 7, 2012 at 11:39 AM

      बहुत-2 शुक्रिया रोहित भाई

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    Reply
  • रविकरNovember 7, 2012 at 1:01 PM

    दिन दूभर और रात भारी लगी है ।

    (अरुण शर्मा )

    आज कल मैं सीखने की कोशिश में लगा हूँ गजल की आकर्षक विधा -

    2 2 2 2 1 2 1 22 1 22

    महबूबा की अजब तयारी लगी है ।

    जब से देखा उसे हमारी लगी है ।।



    करने आता तभी मुलाक़ात साला

    उसकी बोली मुझे कटारी लगी है ।।



    अरुण जी जरा बताना तो-

    बहर ठीक है या कहीं सुधार की जरुरत है-

    मुझे संकोच नहीं -

    तुम भी मत करो -

    बिंदास कहो -

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 7, 2012 at 1:21 PM

      सर आपका हर शेर लाजवाब है मुझसे कहीं बेहतर लिखा है क्या बात है.
      आपका अंदाज निराला है,
      कर रहा हर शेर उजाला है।

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    2. रविकरNovember 7, 2012 at 1:31 PM

      अरुण भाई -
      सचमुच सीखने की कोशिश में लगा हूँ-
      आपने इसे सही कहा-
      आभार ||

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    3. "अनंत" अरुन शर्माNovember 7, 2012 at 1:34 PM

      सर सीख तो मैं रहा हूँ सच कहूँ तो आपसे दोहे की विद्या लेना चाहता हूँ जो मज़ा आपके दोहों में है वो और कहीं नहीं।

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  • रविकरNovember 7, 2012 at 1:28 PM

    उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।

    आज लिंक लिक्खाड़ पर

    450 वीं

    पोस्ट

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 7, 2012 at 1:43 PM

      सर लिंक लिक्खाड़ पर स्थान देने हेतु आभार। 450 वीं पोस्ट के लिए हार्दिक बधाई.

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    Reply
  • धीरेन्द्र सिंह भदौरियाNovember 7, 2012 at 1:52 PM

    एक अदना सा करिश्मा है ये उसके इश्क का,
    मर गया हूँ, और मरने का गुमा होता नही,,,,,,

    RECENT POST:..........सागर

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 7, 2012 at 2:19 PM

      वाह सर क्या बात है अति उत्तम लाजवाब

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  • संध्या शर्माNovember 7, 2012 at 4:49 PM

    प्रस्तुति बहुत प्यारी लगी... शुभकामनायें

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    Replies
    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 7, 2012 at 4:50 PM

      तहे दिल से शुक्रिया संध्या जी

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    Reply
  • shaliniNovember 7, 2012 at 5:15 PM

    कम्वाख्त इश्क वो आतिश है ग़ालिब
    कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे..... ज़रा बच के रहिए जनाब
    बहुत उम्दा लिखा है

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    Replies
    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 7, 2012 at 5:17 PM

      वाह शालिनी जी बहुत खूब क्या बात है आप ग़ालिब साहब को लाये शुक्रिया.

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    Reply
  • Reena MauryaNovember 7, 2012 at 8:04 PM

    इश्क की बीमारी का सही वर्णन....
    सुन्दर प्रस्तुति....
    :-)

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 8, 2012 at 10:57 AM

      शुक्रिया रीना जी

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    Reply
  • डॉ. मोनिका शर्माNovember 8, 2012 at 10:55 AM

    अच्छी लगी आपकी रचना

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    Replies
    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 8, 2012 at 10:58 AM

      बहुत-2 शुक्रिया डॉ. साहिबा

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    Reply
  • सदाNovember 8, 2012 at 11:52 AM

    वाह ... बहुत ही बढिया

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 8, 2012 at 12:28 PM

      बहुत-2 शुक्रिया सदा जी

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    Reply
  • संजय भास्करNovember 8, 2012 at 4:08 PM

    कम्वाख्त इश्क

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 9, 2012 at 11:08 AM

      बिलकुल संजय भाई.

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    Reply
  • Rajesh KumariNovember 8, 2012 at 6:40 PM

    ये क्या हाल बना रखा है अरुण !!!हाहाहा ये तो रही मजाक की बात बहुत अच्छा प्रयास हुआ है उम्दा ग़ज़ल लिखी है दाद कबूल करो

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 9, 2012 at 11:09 AM

      आदरणीया राजेश कुमारी जी आपकी दाद व आशीष तहे दिल से कुबूल है.

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    Reply
  • Virendra Kumar SharmaNovember 8, 2012 at 7:33 PM


    बिखरी आबाद जिंदगी, इस तरह,
    अत्र फूलों की लुटी, क्यारी लगी

    बहुत सुन्दर है दोस्त बहुत बढ़िया लिख रहे हो .


    बिखरी आबाद जिंदगी, इस तरह,
    अत्र फूलों की लुटी, क्यारी लगी

    इश्क पर जोर नहीं ,है ये वो आतिश ग़ालिब ,

    के लगाए न लगे और बुझाए न बने .

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    Replies
    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 9, 2012 at 11:09 AM

      तहे दिल से आभार वीरेंद्र सर.

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    Reply
  • राज चौहानNovember 9, 2012 at 3:12 PM

    आपकी रचना अच्छी लगी

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 9, 2012 at 3:12 PM

      बहुत-2 शुक्रिया चौहान साहब

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