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Saturday, November 24, 2012

दिल था कच्चा - चटक गया

दिल था कच्चा, चटक गया,
मैं इस पथ में, भटक गया,

बंजर भी हूँ, विरान भी,
हरियाली को, खटक गया,

खंजर-चाकू,चली छुरी,
तेरी सुध में, अटक गया,

जर्जर दिल की, दिवार है,
नैना पानी, पटक गया,  

वश में धड़कन, नहीं रही,
दिल तो साँसे, गटक गया,

खुशियों में हाँथ, थाम के,
गम में आकर, झटक गया,

रूठा जब रब "अरुन" का,
कर से जीवन, छटक गया।।

22 comments:

  1. धीरेन्द्र सिंह भदौरियाNovember 24, 2012 at 5:31 PM

    वाह,,,,बहुत सुंदर ,,,,

    recent post : प्यार न भूले,,,

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    Replies
    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 24, 2012 at 5:49 PM

      बहुत-2 शुक्रिया धीरेन्द्र सर

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  • रविकरNovember 24, 2012 at 5:41 PM

    -ओह
    तो ऐसे भी बहर को एडजस्ट कर सकते हैं-
    आभार अरुण जी ||

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 24, 2012 at 5:50 PM

      रविकर यह तो मुझे भी ज्ञात नहीं है की बहर को एडजस्ट कैसे करते हैं. जो दिल में आता है वही लिख लेता हूँ. अनेक-2 धन्यवाद....

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  • Kailash SharmaNovember 24, 2012 at 7:48 PM

    बंजर भी हूँ, विरान भी,
    हरियाली को, खटक गया,

    ...वाह! बहुत प्रभावी अहसास... सुंदर गजल

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 25, 2012 at 10:46 AM

      अनेक-2 धन्यवाद आदरणीय कैलाश सर

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  • Amit ChandraNovember 24, 2012 at 8:12 PM

    शानदार रचना.

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 25, 2012 at 10:46 AM

      बहुत-2 शुक्रिया अमित जी

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    Reply
  • विनोद सैनीNovember 25, 2012 at 11:51 AM

    दिल तो बच्‍चा है जी अटक गया तो अटक गया

    फेसबुक थीम को बदले

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 25, 2012 at 12:28 PM

      सत्य है मित्र

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  • चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’November 25, 2012 at 6:07 PM

    बहुत ख़ूब!
    आपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 26-11-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 26, 2012 at 11:15 AM

      तहे दिल से शुक्रिया ग़ाफ़िल सर

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  • सुमन कपूर 'मीत'November 25, 2012 at 10:15 PM

    बढ़िया अरुण लिखते रहो ... :)

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 26, 2012 at 11:15 AM

      शुक्रिया सुमन जी

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    Reply
  • Sadhana VaidNovember 26, 2012 at 9:07 AM

    खूबसूरत प्रस्तुति ! मन की भावनाओं को शिद्दत से अभिव्यक्ति दी है आपने ! शुभकामनायें !

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 26, 2012 at 11:16 AM

      ह्रदय के अन्तःस्थल से आभार आदरणीया साधना जी

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    Reply
  • सदाNovember 26, 2012 at 10:49 AM

    बंजर भी हूँ, विरान भी,
    हरियाली को, खटक गया,
    बेहद गहन भाव हैं इन पंक्तियों के ... लाजवाब प्रस्‍तुति

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 26, 2012 at 11:16 AM

      अनेक-2 धन्यवाद सदा दी

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    Reply
  • आमिर दुबई 2692November 26, 2012 at 1:09 PM

    चलो भाई आज से हम भी आने लगे आपके ब्लॉग पर। लेखन शैली आपकी, है बड़ी कमाल की।

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 26, 2012 at 3:57 PM

      बहुत-2 शुक्रिया आमिर भाई

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  • Virendra Kumar SharmaNovember 26, 2012 at 1:28 PM



    वश में धड़कन, नहीं रही,
    दिल तो साँसे, गटक गया,

    क्या बात अनंत अरुण जी ,दिल तो पागल है ,तुसी तो न बनो ,...बढ़िया लिख रहे हो दोस्त दिल से बचके रहना ,सुनों मत इसका कहना .

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 26, 2012 at 3:58 PM

      अनेक-2 धन्यवाद आदरणीय वीरेंद्र सर

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