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गुरुवार, 28 जून 2012

चर्चामंच अनोखा मंच

बेहद खुबसूरत अपना ये चर्चामंच है,
प्रेम के गुच्छों से गुंथा-सजा ये बंच है,
हृयद की भावनाओ से शुशोभित होकर,
फैला रहा मधुर कविताओं का पंच है,
नास्ता होता है अनूठे शब्दों का यहाँ,
यहीं सुन्दर भावों का होता लंच है,
सच्चे साथी हैं, एक साथ, एक जगह,
यहाँ कभी होता नहीं कोई परपंच है......

5 टिप्‍पणियां:

  1. रविकर फैजाबादी28 जून 2012 को 2:56 pm

    आसानी से कह रहे, अरुण तरुण एहसास ।

    ब्लॉग-जगत का कर रहा, चर्चा-मंच विकास ।

    चर्चा-मंच विकास , आस है भारी इससे ।

    छपते गीत सुलेख, विवेचन गजलें किस्से ।

    बहुत बहुत आभार, प्यार से इसे नवाजा ।

    कमी दिखे तत्काल, ध्यान में मित्र दिला जा ।।

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  2. अरुन शर्मा28 जून 2012 को 2:59 pm

    वाह क्या बात है, रविकर SIR बहुत-२ शुक्रिया.

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    उत्तर
    1. रविकर फैजाबादी28 जून 2012 को 5:44 pm

      dineshkidillagi.blogspot.com

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  • रविकर फैजाबादी28 जून 2012 को 6:05 pm

    बहुत अच्छी प्रस्तुति!

    इस प्रविष्टी की चर्चा शुक्रवारीय के चर्चा मंच पर भी होगी!

    सूचनार्थ!

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  • बहुत बढ़िया अरुण शर्मा जी .यहाँ कोई होता नहीं प्रपंच है ,प्रेम को हर कोई स्वतंत्र है ,न कोई खाप न सरपंच है ,.....
    वीरुभाई .
    शुक्रवार, 29 जून 2012
    ज्यादा देर आन लाइन रहना माने टेक्नो ब्रेन बर्न आउट
    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    वीरुभाई ४३.३०९ ,सिल्वर वुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशिगन ,४८,१८८ ,यू एस ए .

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
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