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Friday, January 18, 2013

प्यार से बोल जरा प्यार अगर करती है

(बह्र: रमल मुसम्मन मखबून मुसक्कन)
वज्न : 2122, 1122, 1122, 22


चोर की भांति मेरी ओर नज़र करती है,
प्यार से बोल जरा प्यार अगर करती है,


फूल से गाल तेरे बाल तेरे रेशम से,
चाल हिरनी सी मेरी जान दुभर करती है,


धूप सा रूप तेरा और कली सी आदत,
बात खुशबू को लिए साथ सफ़र करती है,


कौन मदहोश न हो देख तेरी रंगत को,
शर्म की डाल झुकी घाव जबर करती है,


मार डाले न मुझे चाह तुझे पाने की,
मौत के पास मुझे रोज उमर करती है..

11 comments:

  1. रविकरJanuary 18, 2013 at 12:00 PM

    आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 18, 2013 at 12:15 PM

      धन्यवाद आदरणीय रविकर सर

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  • Madan Mohan SaxenaJanuary 18, 2013 at 1:00 PM

    उत्कृष्ट प्रस्तुति

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 18, 2013 at 5:35 PM

      धन्यवाद मदन मोहन जी

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  • madhu singhJanuary 18, 2013 at 1:45 PM

    vah ,kya andaje bayan hai ,kya andaje guftgu hai,

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 18, 2013 at 5:36 PM

      आभार आदरणीय मधु जी

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  • Kailash SharmaJanuary 18, 2013 at 4:03 PM

    बेहतरीन ग़ज़ल...

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 18, 2013 at 5:36 PM

      अनेक-अनेक धन्यवाद आदरणीय कैलाश सर

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  • Virendra Kumar SharmaJanuary 18, 2013 at 6:06 PM

    बहुत खूब बहुतखूब बहुतखूब !क्या कहने हैं रूपकात्मक अभिव्यक्ति के प्रेम की मिश्री के ,सौन्दर्य के पैरहन के .

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  • दिगम्बर नासवाJanuary 19, 2013 at 1:59 PM

    चोर की भांति मेरी ओर नज़र करती है,
    प्यार से बोल जरा प्यार अगर करती है,..

    क्या बात है ... उनकी नज़रों की भाषा भी तो पढ़ें कभी ... क्या पता वो प्यार ही हो ...

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  • Reena MauryaJanuary 21, 2013 at 6:01 PM

    बेहतरीन गजल
    :-)

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