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Sunday, December 2, 2012

दूरियां हों लाख - याद है जाती नहीं

दिन कहीं छुप खो गया है, रात भी बाकी नहीं।
मुश्किलें हैं हर कदम पर, बात बन पाती नहीं।।

इक दफा दिल पे कभी, जो राज कोई कर गया।
दूरियां हों लाख चाहे, याद फिर जाती नहीं।।

दिल्लगी कर दिल दुखाना, ठीक ये आदत नहीं।
पास तेरे दिल नहीं, तू और जज्बाती नहीं।।

नाज तेरी मैं वफ़ा पे, रात दिन करता रहा।
बेवफा तेरी कहानी पर, जुबाँ गाती नहीं।।

जख्म गर नासूर बनके, जिस्म को छलनी करे। 
मौत है ये जिंदगी, जो मौत कहलाती नहीं।।

20 comments:

  1. रविकरDecember 2, 2012 at 3:30 PM

    यह जुबाँ कहती जुबानी, है जवानी ढाल पर ।

    क्या करें शिकवा शिकायत, खुश दिखूं बदहाल पर ।

    वापसी मुश्किल तुम्हारी, जानते हैं तथ्य दोनों

    कौन किसकी इन्तजारी कर सका है साल भर ???

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    1. "अनंत" अरुन शर्माDecember 2, 2012 at 3:51 PM

      अति सुन्दर रविकर सर वाह क्या बात है शुक्रिया मेहरबानी

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  • संजय भास्करDecember 2, 2012 at 4:41 PM

    सभी लाइन बढ़िया पर ये ख़ास लगी .....!!

    नाज तेरी मैं वफ़ा पे, रात दिन करता रहा।
    बेवफा तेरी कहानी पर, जुबाँ गाती नहीं।।

    ........उम्दा प्रस्तुति अरुण जी

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    1. "अनंत" अरुन शर्माDecember 3, 2012 at 11:44 AM

      शुक्रिया संजय भाई

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  • रविकरDecember 2, 2012 at 6:15 PM

    आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।

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    1. "अनंत" अरुन शर्माDecember 3, 2012 at 11:42 AM

      शामिल करने हेतु अनेक-2 धन्यवाद रविकर सर

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  • expressionDecember 2, 2012 at 7:48 PM

    वाह..
    बहुत अच्छी गज़ल अरुण....

    अनु

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    1. "अनंत" अरुन शर्माDecember 3, 2012 at 11:42 AM

      शुक्रिया अनु जी

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  • आमिर दुबई 2692December 3, 2012 at 10:51 AM

    इस उम्र में ये जज़्बात ? वाह क्या बात है। जिन्दगी में थपेड़ों में उलझकर ,तन्हाई और अकेलापन जब कलम थमा दे तब जाकर जज़्बात को लिख पाने के हौंसले मिला करते हैं।

    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स
    इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड

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    1. "अनंत" अरुन शर्माDecember 3, 2012 at 11:44 AM

      शुक्रिया मेहरबानी आमिर भाई हौंसला आफजाई के लिए.

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  • Virendra Kumar SharmaDecember 3, 2012 at 1:05 PM

    इक दफा दिल पे कभी, जो राज कोई कर गया।
    दूरियां हों लाख चाहे, याद फिर जाती नहीं।।

    हकीकत है ज़िन्दगी की अब कहो तो कहलो इसे पहला पहला प्यार था -खूब, बहुत खूब अशआर लाये हो जान !

    उसको न ढूंढ सका कोई नैट ऑरकुट ,

    दिनरात ओढ़ा था जिसे ,वह पहला प्यार था .

    कोई पता न ठौर उसका आज तक मिला ,

    ताउम्र है ढूंढ़ा किया ,वह पहला प्यार था .

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    1. "अनंत" अरुन शर्माDecember 3, 2012 at 1:40 PM

      आदरणीय वीरेन्द्र सर आपको प्रेरणादाई टिप्पणियों हेतु अनेक-2 धन्यवाद

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  • रविकरDecember 3, 2012 at 4:42 PM

    कहाँ है हाइकू ??

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    1. "अनंत" अरुन शर्माDecember 3, 2012 at 5:28 PM

      रविकर सर पोस्ट हट गई थी फिर से पोस्ट कर दी है

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  • संध्या शर्माDecember 3, 2012 at 5:01 PM

    दूरियां हों लाख - याद है जाती नहीं ...
    बहुत खूबसूरत रचना...

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    1. "अनंत" अरुन शर्माDecember 3, 2012 at 5:29 PM

      शुक्रिया संध्या जी

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  • Reena MauryaDecember 4, 2012 at 2:49 PM

    बहुत ही बेहतरीन गजल....
    बहुत बढ़ियाँ...
    :-)

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    1. "अनंत" अरुन शर्माDecember 6, 2012 at 11:34 AM

      शुक्रिया रीना जी

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  • दिगम्बर नासवाDecember 8, 2012 at 3:43 PM

    जख्म गर नासूर बनके, जिस्म को छलनी करे।
    मौत है ये जिंदगी, जो मौत कहलाती नहीं।।

    वाह ... कितनी गहरी बात कह दी ... नौत है पर कहलाती नहीं .. सच कहा है ..

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"December 8, 2012 at 3:53 PM

      अनेक-2 धन्यवाद दिगम्बर सर

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