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शनिवार, 22 सितंबर 2012

कीमत चाहत की

कीमत चाहत की अदा कर भूल गई,
वो खुद से मुझको जुदा कर भूल गई,
 

नम नैना मेरे, ---- उम्र भर संग रहे,
जुल्मी मुझको, गुदगुदा कर भूल गई,
 

मुझमे कायम, यूँ दर्द-गम-जखम रहा,
खुद को मेरा वो,--- खुदा कर भूल गई,
 

चाहा जब तक खूब मुझको प्यार किया,
फिर वो अपना,-- फायदा कर भूल गई,


मांगे मैंने फूल------ उससे प्यार भरे,
बोझा काँटों का,---- लदा कर भूल गई....

24 टिप्‍पणियां:

  1. रश्मि प्रभा...22 सितंबर 2012 को 11:28 am

    सहज अभिव्यक्ति

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा22 सितंबर 2012 को 11:39 am

      शुक्रिया रश्मि जी

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  • Kuldeep Sing22 सितंबर 2012 को 11:32 am

    अच्छी रचना।

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा22 सितंबर 2012 को 11:40 am

      शुक्रिया संदीप जी

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  • रविकर फैजाबादी22 सितंबर 2012 को 11:51 am

    चाहत की कीमत मिली, अहा हाय हतभाग ।

    इक चितवन देती चुका, तड़पूं अब दिन रात ।

    तड़पूं अब दिन रात, आँख पर आंसू छाये ।

    दिल में यह तश्वीर, गजब हलचलें मचाये ।

    देती कंटक बोझ, इसी से पाई राहत ।

    कर्म कर गई सोझ, कोंच के नोचूं चाहत ।।

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा22 सितंबर 2012 को 12:03 pm

      वाह सर क्या बात आपके दोहों का कोई जवाब नहीं

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  • रविकर फैजाबादी22 सितंबर 2012 को 11:52 am

    उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा22 सितंबर 2012 को 12:03 pm

      शुक्रिया सर

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  • डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)22 सितंबर 2012 को 5:20 pm

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (23-09-2012) के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    सूचनार्थ!

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा22 सितंबर 2012 को 5:22 pm

      आदरणीय शास्त्री सर आपकी सराहना मिली मन प्रसन्न हो गया, चर्चा मंच पर स्थान दिया तहे दिल से शुक्रिया

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  • काजल कुमार Kajal Kumar22 सितंबर 2012 को 9:09 pm

    बढ़ि‍या लि‍खा है

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा23 सितंबर 2012 को 2:56 pm

      शुक्रिया काजल कुमार जी

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  • Sadhana Vaid23 सितंबर 2012 को 4:38 pm

    बहुत सुन्दर लिखा है ! अनन्त जी आपको अनन्त शुभकामनायें !

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा23 सितंबर 2012 को 4:42 pm

      बहुत-२ शुक्रिया आदरेया जी, यूँ ही अपना आशीर्वाद बनाये रखिये

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  • Anju (Anu) Chaudhary23 सितंबर 2012 को 5:08 pm

    खूबसूरत अहसास

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा23 सितंबर 2012 को 5:37 pm

      बहुत-२ शुक्रिया अनु जी

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  • सुशील23 सितंबर 2012 को 6:24 pm

    वाह !
    अरे जो इतना भुल्लकड़ है
    अच्छा ही हुआ वो भूल गयी !

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा24 सितंबर 2012 को 10:47 am

      शुक्रिया सुशील सर

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  • Anita23 सितंबर 2012 को 7:28 pm

    दर्द भरी रचना !
    एक गीत की पंक्तियाँ याद आ गयीं..
    ~मिले न फूल तो काँटों से दोस्ती कर ली...
    इसी तरह से बसर...हमने ज़िंदगी कर ली..~

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा24 सितंबर 2012 को 10:47 am

      शुक्रिया अनीता जी

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  • संजय भास्कर24 सितंबर 2012 को 8:05 am

    Beautiful writing and beautiful presentation Arun Bhai

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा24 सितंबर 2012 को 10:48 am

      तहे दिल से शुक्रिया संजय भाई

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  • रंजना [रंजू भाटिया]26 सितंबर 2012 को 12:17 pm

    waa bahut sundar ........har pankti lajwaab hai

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा26 सितंबर 2012 को 12:22 pm

      बहुत-२ शुक्रिया रंजना जी

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