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Thursday, August 23, 2012

लगता है अब मेरा, मौत से मिलन है

जो प्यारा था जीवन, अब वही कफ़न है,
जख्मों से टूटा - टूटा, हुआ बदन है,

गुमसुम है धड़कन, चुपचाप हैं होंठ भी,
दिल का मेरे अब तो, हो चुका निधन है,

मैं, वो कैसे जाऊं, भूल तेरी अदा,
यादों से तेरी, होने लगी चुभन है,

तन्हा था तन्हा, ही रह गया दिल सदा,
बाहर बेचैनी, भीतर दर्द है घुटन है,

बिखरा है ख्वाबों का, फूल गिर टूटकर,
लगता है अब मेरा, मौत से मिलन है........

4 comments:

  1. रविकर फैजाबादीAugust 23, 2012 at 6:21 PM

    उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।

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    1. अरुन शर्माAugust 24, 2012 at 11:11 AM

      बहुत-२ शुक्रिया रविकर सर

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  • Rajesh KumariAugust 24, 2012 at 9:48 PM

    बहुत मार्मिक दर्द भरी रचना दिल को छू गई

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    Replies
    1. अरुन शर्माAugust 25, 2012 at 11:45 AM

      आदरणीया सराहना के लिए बहुत-२ शुक्रिया

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    Reply
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