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Sunday, July 8, 2012

नैनों के अनोखे रूप

मन को आहत कर गए नैनो से निकले बाण,
नैना अद्भुत लीला रच , ह्रदय से हरते प्राण.....

प्रभु के दर्शन हो गए, जब नैनो के खुल गए द्वार,
नैनों की नदियाँ बह रहीं, बिन मांझी मजधार.....
मुख से बोला न गया बोल गए सब नैन,
मीठी भाषा बोल कर छीन गए हैं चैन,

छोटे -२ शब्दों को ध्यान से ढूंढते नैना,
दो शीशों के नीचे से हैं कैसे घूरते नैना,
हुए जब बूढ़े तन तो बने पथरीले हैं नैना,
सूखी - २ पलकों के, नीचे गीले हैं नैना,
गरीबी के साये में दिखते भूखे हैं नैना,
घिर के आया है सावन, फिर भी सूखे हैं नैना,
दया में भीगे हैं नैंना, हया भी सीखे हैं नैना,
सुन्दर मखमली सूरत पे दो अनोखे हैं नैना............
झुर्रियां पड़े चेहरों पे हो गयी धुंधली हैं अँखियाँ,
तकलीफें सह-२ के बन बैठी बदली हैं अँखियाँ,


थोडा गौर से देखो , निगाहों में समंदर है,
प्रेम का रास्ता जाता सदा गम के अंदर है,
जुबां पर लौट आये हैं, सारे शब्द दर्द के,
दिलों से खेलने वाला, वो शातिर सिकंदर है,
मरता क्या नहीं करता, दिलपे जोर नहीं चलता,
बड़ी मासूम हर अदा, वो फूलों से सुंदर है.....


6 comments:

  1. Kailash SharmaJuly 8, 2012 at 1:57 PM

    वाह! कमाल कर दिया नैनों ने.....

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  2. अरुन शर्माJuly 8, 2012 at 2:20 PM

    धन्यवाद SIR

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  3. Rajesh KumariJuly 8, 2012 at 8:02 PM

    अरुण जी यहाँ दुबारा पढने का मौका मिला इस रचना का उतना ही मजा आया जितना ओ बी ओ पर

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  4. अजय कुमार झाJuly 8, 2012 at 10:00 PM

    रविवारीय महाबुलेटिन में 101 पोस्ट लिंक्स को सहेज़ कर यात्रा पर निकल चुकी है , एक ये पोस्ट आपकी भी है , मकसद सिर्फ़ इतना है कि पाठकों तक आपकी पोस्टों का सूत्र पहुंचाया जाए ,आप देख सकते हैं कि हमारा प्रयास कैसा रहा , और हां अन्य मित्रों की पोस्टों का लिंक्स भी प्रतीक्षा में है आपकी , टिप्पणी को क्लिक करके आप बुलेटिन पर पहुंच सकते हैं । शुक्रिया और शुभकामनाएं

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  5. अरुन शर्माJuly 9, 2012 at 10:47 AM

    आदरणीया राजेश कुमारी जी बहुत बहुत शुक्रिया इस प्यार और दुलार के लिए.

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  6. अरुन शर्माJuly 9, 2012 at 10:48 AM

    अजय भाई शुक्रिया आपने मेरा ब्लॉग शामिल किया.

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