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Thursday, July 5, 2012

तेरी भीगी निगाहों ने

तेरी भीगी निगाहों ने जब-जब छुआ है मुझे,
तेरा एहसास मिला तो कुछ-कुछ हुआ है मुझे,
फिसल कर छूट गया तेरा हाँथ मेरे हांथो से,
सितम गर ज़माने से मिली बददुआ है मुझे, 
लगी है ठोकर संभालना बहुत मुस्किल है,
घूंट चाहत का लग रहा अब कडुआ है मुझे,
तरसती- बेबाक नज़रें ताकती हैं रास्तों को,
दिखा तेरी सूरत के बदले सिर्फ धुँआ है मुझे....

7 comments:

  1. रविकर फैजाबादीJuly 5, 2012 at 5:05 PM

    sundar prastuti |

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  2. अरुन शर्माJuly 5, 2012 at 5:48 PM

    बहुत बहुत शुक्रिया SIR

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  3. Dr. Madhuri Lata Pandey (इला)July 5, 2012 at 7:22 PM

    saral abhivykti..

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  4. ब्लॉ.ललित शर्माJuly 6, 2012 at 8:10 AM

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    बेहतरीन रचना

    सावधान सावधान सावधान सावधान रहिए



    ♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥

    ♥ सावधान: एक खतरनाक सफ़र♥


    ♥ शुभकामनाएं ♥

    ब्लॉ.ललित शर्मा
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  5. M VERMAJuly 6, 2012 at 8:36 AM

    बहुत बढ़िया

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  6. expressionJuly 6, 2012 at 8:50 AM

    बहुत सुन्दर......
    अनु

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  7. अरुन शर्माJuly 6, 2012 at 1:07 PM

    आप सभी का तहे दिल से शुर्किया

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